Sunday 2 March 2014

मरने से कुछ नहीं मिलता

जियेंगे तो दुनिया देखेंगे 
मर गये तो क्या देखेंगे 
लोग देखेंगे 
हम तो नहीं देखेंगे 
पैसा नहीं भी रहेगा तो 
धुधली आँखे रहेंगी 
और चल नहीं पाये तो 
बैठे-बैठे देखेंगे 
जो लोग चलेंगे 
उनमे से कोई तो 
हमारे पास से गुजरेंगे। 
किसी बागीचे में फूल नहीं 
तो सामने के खाली जगह पर 
उगी घास देखेंगे 
पेड़ पर बैठे चिड़िया न बैठे 
उड़ते कौवे को देखेंगे ,
जो सुन्दर था न देख सकें 
उन्हें कूड़ा होने पर देखेंगे 
कुछ तो देखेंगे। 
आँखे नहीं बचेगी तो 
स्पर्श अनुभव करेंगे 
कान नहीं रहेंगे 
होने की हरकत महसूस करेंगे ,
हर हाल में जीना 
बेहद खूबसूरत है 
मरना बदसूरत तो नहीं है पर 
मरना तो कुछ भी नहीं देखना है। 
देखेंगे ईश्वर 
नरक 
और स्वर्ग 
जीते ही 
मरने से तो कुछ नहीं मिलता 
न ईश्वर 
न नरक 
न स्वर्ग। 

No comments:

Post a Comment