Tuesday 4 March 2014

एक लम्बी लड़ाई

कोई नहीं सुनना चाहता सत्य 
जैसे मौत की खबर सुनकर 
अपनी मौत के होने के सच 
को टालते हुए जीवन में 
शरीक हो जाता है आदमी। 
अन्याय के प्रतिकार का 
समर्थन वह तभी तक करता है 
जबतक उससे होने वाले अन्याय 
के प्रतिकार की चर्चा न की  जाय। 
प्रेम,सहानभूति और करुणा 
सब अपने लिए चाहते हैं 
पर देने के मामले में 
समय, सुविधा और 
न्यूनतम हानि की कीमत पर। 
दुनिया को बदलने की 
इच्छा वाला आदमी 
अपने को बदलने के 
प्रायः विरुद्ध 
और यह एक ऐसा युद्ध है 
जिसे शताब्दियों तक 
लड़ा जाना है 
और इसके हथियारों की 
खोज भी इसी समाज को करना है। 

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