गैर भरोसे की दुनिया में भी
आदमी को भरोसा करना ही पड़ेगा
अपने हाथ पर भरोसा कि वह
निवाले को मुँह तक ले जायेगा
और अपने उत्सर्जन तंत्र का भरोसा
कि वह वहिर्गमन करेगा ही
अपने सांसों पर भरोसा
कि वह चलेंगे
और दिल और फेफड़े को मिलता रहेगा
आक्सीजन ,
रोटी ,आटे और नमक पर
भरोसा करना पड़ेगा
और बेवफा से बेवफा औरत पर
यह भरोसा तो करना ही पड़ेगा
कि यदि जनेगी तो वही जनेगी
पुरुष जन नहीं सकता
कोई बच्चा।
आग पर भरोसा
पानी पर भरोसा
और अपने खुशियों या ग़मों पर भरोसा
अब करना ही पड़ेगा आदमी को
तो वह क्यों कहता रहेगा कि
अब भरोसे के काबिल नहीं दुनिया।
आदमी को भरोसा करना ही पड़ेगा
अपने हाथ पर भरोसा कि वह
निवाले को मुँह तक ले जायेगा
और अपने उत्सर्जन तंत्र का भरोसा
कि वह वहिर्गमन करेगा ही
अपने सांसों पर भरोसा
कि वह चलेंगे
और दिल और फेफड़े को मिलता रहेगा
आक्सीजन ,
रोटी ,आटे और नमक पर
भरोसा करना पड़ेगा
और बेवफा से बेवफा औरत पर
यह भरोसा तो करना ही पड़ेगा
कि यदि जनेगी तो वही जनेगी
पुरुष जन नहीं सकता
कोई बच्चा।
आग पर भरोसा
पानी पर भरोसा
और अपने खुशियों या ग़मों पर भरोसा
अब करना ही पड़ेगा आदमी को
तो वह क्यों कहता रहेगा कि
अब भरोसे के काबिल नहीं दुनिया।
No comments:
Post a Comment