अनंत जी की कविताएँ
Saturday 12 April 2014
बूढ़े
बूढ़े दिमाग से
मैदान के हिस्से में
एक छोटी जगह चुनते हैं
और अपनी बेतुकी धुन में
ऐसे बैठे रहते हैं
गोया हरकतें
उनकी दुश्मन हों |
बूढ़ा सिर्फ जरुरी हरकत करता है
मैं चीख कर बताता हूँ
और बूढ़े का व्याकरण
बदल जाता है |
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