बच्चे आते हैं पास
और ऐसा कोई प्रश्न करते हैं
जो उत्तर के रूप में
केवल बच्चे को और अधिक
बिम्ब में बदल देते हैं
बच्चा प्रश्न करते समय
बच्चा नहीं होता
पर जब भी आप बच्चे को
प्रश्न करते देखते हैं
तो वो बच्चा ही रहता है
उसके छोटे-छोटे हाथ
छोटा सा मुँह
और छोटी-छोटी
पगध्वनियाँ
सयानों कि छाती में
संगीत की तरह प्रबंध करती हैं
बच्चा नायाब है दुनिया में
सृजन का इससे अच्छा
उदहारण नहीं मिलेगा
कला की दुनिया में।
और ऐसा कोई प्रश्न करते हैं
जो उत्तर के रूप में
केवल बच्चे को और अधिक
बिम्ब में बदल देते हैं
बच्चा प्रश्न करते समय
बच्चा नहीं होता
पर जब भी आप बच्चे को
प्रश्न करते देखते हैं
तो वो बच्चा ही रहता है
उसके छोटे-छोटे हाथ
छोटा सा मुँह
और छोटी-छोटी
पगध्वनियाँ
सयानों कि छाती में
संगीत की तरह प्रबंध करती हैं
बच्चा नायाब है दुनिया में
सृजन का इससे अच्छा
उदहारण नहीं मिलेगा
कला की दुनिया में।
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