उसकी मशीन
कैची और उसके पास है फीता,
वह पैर चलाता है
सधे हुए,
और डोर लगाने के लिए
बड़ी सधी उगलियों का प्रयोग करता है,
कपड़े की नाप लेते हुए
दर्जी बड़े ध्यान से देखता है,
वह आदमी को
उसकी कमर, कलाई, उसके कंधे
के आधार पर जानता है |
दर्जी सिल रहा है कपड़े
और कपड़े लहरा रहे हैं
आ-जा रहे हैं
देश-विदेश,
दर्जी का हाथ
ट्रेन में, वायुयान में
घाटी पर आसमान में,
उपरी कैची लगातार चल रही है
वह सिल रहा है, काट रहा है,
दर्जी सभ्यता के भीतर
एक जरुरी मशीन है
जिससे आत्मा वस्त्र प्राप्त करती है |
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