कोई नहीं सुनना चाहता सत्य
जैसे मौत की खबर सुनकर
अपनी मौत के होने के सच
को टालते हुए जीवन में
शरीक हो जाता है आदमी।
अन्याय के प्रतिकार का
समर्थन वह तभी तक करता है
जबतक उससे होने वाले अन्याय
के प्रतिकार की चर्चा न की जाय।
प्रेम,सहानभूति और करुणा
सब अपने लिए चाहते हैं
पर देने के मामले में
समय, सुविधा और
न्यूनतम हानि की कीमत पर।
दुनिया को बदलने की
इच्छा वाला आदमी
अपने को बदलने के
प्रायः विरुद्ध
और यह एक ऐसा युद्ध है
जिसे शताब्दियों तक
लड़ा जाना है
और इसके हथियारों की
खोज भी इसी समाज को करना है।
जैसे मौत की खबर सुनकर
अपनी मौत के होने के सच
को टालते हुए जीवन में
शरीक हो जाता है आदमी।
अन्याय के प्रतिकार का
समर्थन वह तभी तक करता है
जबतक उससे होने वाले अन्याय
के प्रतिकार की चर्चा न की जाय।
प्रेम,सहानभूति और करुणा
सब अपने लिए चाहते हैं
पर देने के मामले में
समय, सुविधा और
न्यूनतम हानि की कीमत पर।
दुनिया को बदलने की
इच्छा वाला आदमी
अपने को बदलने के
प्रायः विरुद्ध
और यह एक ऐसा युद्ध है
जिसे शताब्दियों तक
लड़ा जाना है
और इसके हथियारों की
खोज भी इसी समाज को करना है।
No comments:
Post a Comment