Tuesday 28 January 2014

फूलों के विषय में

कुछ लोग टटके फूलों की तरह खड़े हैं
शेष मुरझाये फूलों की तरह हिले हैं ,
मैंने टहनी से कहा
पत्तो से कान में मंच की तरह
बताया
इन्हे धारण किये रहो ,
जो खिलें हैं
वे भी कुछ हिले हैं
पर मुझे फूलों का मुरझाना अच्छा नहीं लगता
बागवानी का विशेष शौक नहीं
वक्त बागवानी का नहीं है
खेती-बारी का है,
उससे फसलें होती हैं
और वे काटी भी जाती हैं
हर फूलों पर ध्यान जाता है
गंध का क्या ठिकाना
अभी है
अभी हवा के साथ उड़ जायेगी।
पर फूल तो हमेशा हैं
खिलने, मुरझाने, और
तोड़े जाने, गिर जाने के पूर्व
हमेशा और हमेशा।  

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