अपनी पसन्द की जिंदगी
नहीं मिली
तो इसमें मेरा क्या दोष है
मैं तो जीने के लिए विवश हूँ
जैसे मरने के लिए
जीने और मरने की दूरी
एक क्षण की
शेष सब बेहतर जीने की दूरी है ,
यह नहीं मज़बूरी है।
यह एक माया है
जो चल रही है
गलत है यह कथन भी
यह एक सुख की खोज है
जो अधूरी है
यों तो यह खोज है
पर यही तो खेद है कि
यह रोज रोज है।
नहीं मिली
तो इसमें मेरा क्या दोष है
मैं तो जीने के लिए विवश हूँ
जैसे मरने के लिए
जीने और मरने की दूरी
एक क्षण की
शेष सब बेहतर जीने की दूरी है ,
यह नहीं मज़बूरी है।
यह एक माया है
जो चल रही है
गलत है यह कथन भी
यह एक सुख की खोज है
जो अधूरी है
यों तो यह खोज है
पर यही तो खेद है कि
यह रोज रोज है।