Wednesday 19 February 2014

शब्द छोटे हैं

शब्द छोटे हैं 
हमारे अर्थ लेकिन बड़े। 
शब्द सहारे 
भाव के इस देवता के सामने 
हाथ जोड़े खड़े। 
शब्द अपने पैतरे जब-जब बदलते 
अर्थ के आंसू उन्हें चुप करा देते हैं 
कुछ नहीं होता 
किसी के शब्द से 
अर्थ से होता सभी कुछ 
शब्द है निः सीम 
लेकिन अर्थ इस निः सीमता को 
आर्द्र करते हैं 
अमृत का कलश रचते हैं। 


प्यार करने के लिए

प्यार करने के लिए कुछ चाहिए 
प्यार तो कम से होना नही चाहिए 
प्यार करने के लिए कुछ चाहिए 
एक कोई और होना चाहिए। 
शब्द में तब अर्थ आता है 
जब कभी एकांत मिटता है 
और अच्छा अर्थ पाने के लिए 
तीसरा भी चाहिए, सम्पूर्ण दुनिया चाहिए। 

अमोघ प्रश्न

पीछा नहीं छोड़ती इच्छाएँ 
चाहे हम मर जायें 
इसीलिए शायद 
हम जनमते हैं बार-बार। 
शाम होने पर 
घने वृक्षों के साथ 
जब रात की पत्तियां 
हिलती हैं 
तो पूछता हूँ 
पेड़ों की जड़ों के पास जाकर 
तुम्हे क्या सताती थी
 इच्छाएँ 
पूर्व जन्म में 
क्या कोई जड़ इच्छा थी तुम्हारी 
कि तुम जड़ हो गए। 
पेड़ बोलते नहीं 
लौट आता हूँ 
अपनी माँद में 
सुबह उठकर 
टहलने जब निकलता हूँ 
एक-एक चिड़िया से 
एक-एक पेड़ से 
एक-एक कुत्ते से 
एक-एक आदमी से 
गोया कि 
दिख गए हर जीव से जंतु से
एक ही प्रश्न करता हूँ 
और कबतक तुम 
जनमते मरते रहोगे 
इसी तरह 
पीढ़ी दर पीढ़ी 
प्रश्न जितना अमोघ होता है 
उत्तर उतना कहाँ होता है अमोघ। 

नए सिरे से

नए सिरे से 
नयी बातें 
उठाओ 
जैसे गिर गए 
झोपड़े के बांस, बल्ली और छाजन को 
जमाने के लिए 
आदमी बुलाने पड़ते हैं 
वैसे अपनी इच्छाशक्ति को जगाओ 
हारे तो क्या हुआ 
जितने के लिए 
फिर से कमर बाँधो 
छाती मजबूत करो 
और निकलो एकांत के दलदल से। 
हे भाई अनंत मिश्र 
इतनी जल्दी 
कैसे हो गए उदास 
और धप से बैठ गए ,
जितनी दूर चल चुके हो 
पथ को प्रणाम करो 
और यात्रा पर निकलो। 
फिर कल होगा 
और सूर्य निकलेगा 
मनसा की नदी बहेगी 
उसमे नहाओ 
और अपने काम पर जाओ।  

तीनों पीढियो में

बाबा की गोदी में 
बैठकर बाजार घूमने निकला 
पोता, बाबा से पूछता है -
बाबा गइया सड़क पर क्यों बैठी है ?
कुत्ता नाली के पास क्यों सो रहा है ?
गइया का घर नहीं है क्या ?
कुत्ते का कोई कमरा नहीं है क्या ?
अब बाबा क्या बतायें 
कि बहुत से आदमियों के पास भी घर नहीं है 
बहुत से आदमियों के पास भी कमरा नहीं है। 
वे इसी तरह पड़े रहते हैं 
यहाँ-वहाँ 
बैठे रहते हैं 
रात को सो जाते हैं 
सड़क पर बीनते हैं जिंदगी 
और बीनते-बीनते एक दिन 
मर जाते हैं।