Wednesday 29 January 2014

ये फूल

ये फूल उनका है
उन्ही का है
गंध उनकी नहीं
सभी की है।
ये घर उनका है
उन्ही का है
राह उनकी नहीं
सभी की है।
कुछेक चीजें है
जो कि उनकी है
सभी की है
कुछेक और भी चीज़े हैं
इस जहाँ में है
वे न उनकी है
न सभी की हैं।  

सागर

आज बहुत सागर कि याद आ रही
कहतें हैं
सागर की याद
मृत्यु की सूचना है
अशुभ है
पर क्या करें सागर तो टिक गया है
स्मृति में।
सागर से मिले थे
लौट आये थे
सागर से मिलना फिर क्या हुआ
सागर से मिलना तो मिल जाना है सागर में
सागर ही हो जाना है।
अधूरी भेट याद बन सता रही है
कैसा होता है सागर
सागर की सी आँख चाहिए
कैसा निःस्वन होता है सागर का
गहरा बहुत गहरा हृदयतल चाहिए
आह हाहाकार सागर का
बुलाता है
सागर से मिले और लौट आये
अपने छोर को अछोर होने नहीं दिया
अब मैं आऊंगा सागर
तुममें मिल जाऊंगा। 

चौबीस घंटे

१ 
नींद में भी टंटा खड़ा रहता है
जिंदगी एक शब्द है
पर उसका अर्थ
चौबीस घंटे कोचता रहता है।

२ पतझर 
सड़क के किनारे के वृक्ष
पत्ते उलीच रहे हैं
हम गुजरते हुए वन हैं
रुकेंगे तो
बसन्त दुबारा नहीं आयेगा।

३ प्यार
कोई फूल एक बार महँका
गँध रह गई
न पौधा रहा न मौसम
बेचैनी तुम्हारा नाम आत्मा।

४ विद्या 
गंवारो का श्रम
अपने हक़ में
इस्तेमाल करने की शाजिश
मुक्ति मिले न मिले
भोग तो मिल ही रहा है
बिना परिश्रम के।