Wednesday 29 January 2014

सागर

आज बहुत सागर कि याद आ रही
कहतें हैं
सागर की याद
मृत्यु की सूचना है
अशुभ है
पर क्या करें सागर तो टिक गया है
स्मृति में।
सागर से मिले थे
लौट आये थे
सागर से मिलना फिर क्या हुआ
सागर से मिलना तो मिल जाना है सागर में
सागर ही हो जाना है।
अधूरी भेट याद बन सता रही है
कैसा होता है सागर
सागर की सी आँख चाहिए
कैसा निःस्वन होता है सागर का
गहरा बहुत गहरा हृदयतल चाहिए
आह हाहाकार सागर का
बुलाता है
सागर से मिले और लौट आये
अपने छोर को अछोर होने नहीं दिया
अब मैं आऊंगा सागर
तुममें मिल जाऊंगा। 

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