Wednesday 29 January 2014

चौबीस घंटे

१ 
नींद में भी टंटा खड़ा रहता है
जिंदगी एक शब्द है
पर उसका अर्थ
चौबीस घंटे कोचता रहता है।

२ पतझर 
सड़क के किनारे के वृक्ष
पत्ते उलीच रहे हैं
हम गुजरते हुए वन हैं
रुकेंगे तो
बसन्त दुबारा नहीं आयेगा।

३ प्यार
कोई फूल एक बार महँका
गँध रह गई
न पौधा रहा न मौसम
बेचैनी तुम्हारा नाम आत्मा।

४ विद्या 
गंवारो का श्रम
अपने हक़ में
इस्तेमाल करने की शाजिश
मुक्ति मिले न मिले
भोग तो मिल ही रहा है
बिना परिश्रम के।

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