Sunday 26 January 2014

संसद में

संसद का बजट अधिवेशन चालू हुआ 
टकटकी लगाये थी जनता 
चीजें फलों की तरह 
बिना मौसम 
बाजार के वृक्षों पर 
लग जायेंगी 
ढेले डंडे नहीं चलेगें 
विनियम की हवाएँ 
काफी होंगी ,
हमारे झोले चीजो से भर जायेंगे। 
वित्त मंत्री 
कुबेर का स्तवन कर रहे थे 
जनता प्रसाद की आशा में सो गयी। 
सपने में देखा 
वृक्ष वहाँ नही थे ,
कुछ लोंग वहाँ थे जरुर 
पर हवाओं के बारे में कुछ नहीं बता रहे थे। 

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