संसद का बजट अधिवेशन चालू हुआ
टकटकी लगाये थी जनता
चीजें फलों की तरह
बिना मौसम
बाजार के वृक्षों पर
लग जायेंगी
ढेले डंडे नहीं चलेगें
विनियम की हवाएँ
काफी होंगी ,
हमारे झोले चीजो से भर जायेंगे।
वित्त मंत्री
कुबेर का स्तवन कर रहे थे
जनता प्रसाद की आशा में सो गयी।
सपने में देखा
वृक्ष वहाँ नही थे ,
कुछ लोंग वहाँ थे जरुर
पर हवाओं के बारे में कुछ नहीं बता रहे थे।
टकटकी लगाये थी जनता
चीजें फलों की तरह
बिना मौसम
बाजार के वृक्षों पर
लग जायेंगी
ढेले डंडे नहीं चलेगें
विनियम की हवाएँ
काफी होंगी ,
हमारे झोले चीजो से भर जायेंगे।
वित्त मंत्री
कुबेर का स्तवन कर रहे थे
जनता प्रसाद की आशा में सो गयी।
सपने में देखा
वृक्ष वहाँ नही थे ,
कुछ लोंग वहाँ थे जरुर
पर हवाओं के बारे में कुछ नहीं बता रहे थे।
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