१-
इच्छाएँ अजगर की तरह
पहले लपेटती हैं
फिर पोर पोर को
चूर चूर कर
निगल जाती हैं।
अस्तित्व खुशबू सा नहीं बचता
अस्थियाँ जरुर शेष रह जाती हैं।
२ -प्यार में
प्यार में कूद पड़ने की इच्छा थी
कुएँ ही प्यासे थे।
३- आँखे
खुबसूरत थीं
बिना बुलाये बोलती थीं।
इच्छाएँ अजगर की तरह
पहले लपेटती हैं
फिर पोर पोर को
चूर चूर कर
निगल जाती हैं।
अस्तित्व खुशबू सा नहीं बचता
अस्थियाँ जरुर शेष रह जाती हैं।
२ -प्यार में
प्यार में कूद पड़ने की इच्छा थी
कुएँ ही प्यासे थे।
३- आँखे
खुबसूरत थीं
बिना बुलाये बोलती थीं।
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