मन नहीं लगता
चिकित्साविदों की दृष्टि में
यह मानस रोग है,
कारण, निवारण करना चाहिए
पर अपने हाथ में कारण भी तो नहीं
वस्तुओं के रूप में लोग नहीं हैं
कि उन्हें अपने हिसाब से धर दिया जाय
हिटलर मैं हो नहीं सकता
कठेस धार्मिक होने से रहा,
अब बची कविता
शब्दों का शस्त्र संभाले
चला जा रहा हूँ
शाम भी होती जा रही है,
रोशनी किसी काम नहीं आ रही है।
( ६/११/९० )
चिकित्साविदों की दृष्टि में
यह मानस रोग है,
कारण, निवारण करना चाहिए
पर अपने हाथ में कारण भी तो नहीं
वस्तुओं के रूप में लोग नहीं हैं
कि उन्हें अपने हिसाब से धर दिया जाय
हिटलर मैं हो नहीं सकता
कठेस धार्मिक होने से रहा,
अब बची कविता
शब्दों का शस्त्र संभाले
चला जा रहा हूँ
शाम भी होती जा रही है,
रोशनी किसी काम नहीं आ रही है।
( ६/११/९० )
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