Thursday 30 January 2014

मनोरोग के बरक्स मैं

मन नहीं लगता
चिकित्साविदों की दृष्टि में
यह मानस रोग है,
कारण, निवारण करना चाहिए
पर अपने हाथ में कारण भी तो नहीं
वस्तुओं के रूप में लोग नहीं हैं
कि उन्हें अपने हिसाब से धर दिया जाय
हिटलर मैं हो नहीं सकता
कठेस धार्मिक होने से रहा,
अब बची कविता
शब्दों का शस्त्र संभाले
चला जा रहा हूँ
शाम भी होती जा रही है,
रोशनी किसी काम नहीं आ रही है।
                       
                               ( ६/११/९० )

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