क्यों जल्दी ही मार दिया जाता है
अन्याय से लड़ता हुआ आदमी
और वह तो शब्दों से लड़ रहा था
दुश्मन को मारने के लिए नहीं
उसकी आत्मा को जगाने के लिए
दुश्मन क्यों नहीं चाहता की
उसकी आत्मा जगे
उसकी नींद टूटे
क्योंकि दुश्मन अपने को अपना
दुश्मन नहीं देखना चाहता
वह मारा गया
जल्दी ही मार दिया गया
क्यों कि ईश्वर उसके दुश्मनो के पक्ष में था
और ईश्वर हमेशा भक्त वत्सल रहा है।
दुश्मन और ईश्वर दोनों नहीं जानते कि
उसकी शब्दावली हमेशा बची रहती है
जो अन्याय से लड़ती जबान बोलता है,
आत्मा को लगता है
गलत आदमी की देह में
सही आत्मा के फूल खिलाता है।
वह जिन्दा रहता है शताब्दियों तक
मरता, मार खाता आदमी ऐसा वह
हमेशा अमर रहता है
वह नही मरता जैसे ईश्वर मर जाता है
अपने भक्तो के साथ-साथ।
अन्याय से लड़ता हुआ आदमी
और वह तो शब्दों से लड़ रहा था
दुश्मन को मारने के लिए नहीं
उसकी आत्मा को जगाने के लिए
दुश्मन क्यों नहीं चाहता की
उसकी आत्मा जगे
उसकी नींद टूटे
क्योंकि दुश्मन अपने को अपना
दुश्मन नहीं देखना चाहता
वह मारा गया
जल्दी ही मार दिया गया
क्यों कि ईश्वर उसके दुश्मनो के पक्ष में था
और ईश्वर हमेशा भक्त वत्सल रहा है।
दुश्मन और ईश्वर दोनों नहीं जानते कि
उसकी शब्दावली हमेशा बची रहती है
जो अन्याय से लड़ती जबान बोलता है,
आत्मा को लगता है
गलत आदमी की देह में
सही आत्मा के फूल खिलाता है।
वह जिन्दा रहता है शताब्दियों तक
मरता, मार खाता आदमी ऐसा वह
हमेशा अमर रहता है
वह नही मरता जैसे ईश्वर मर जाता है
अपने भक्तो के साथ-साथ।
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