Friday 28 February 2014

यह दिलासा नही है

कभी भी कम नहीं होता जीवन 
वह प्रतिक्षण बढता हुआ है 
एक एक बच्चा 
हजारों बड़ो के जीवन से 
ज्यादा समुत्सुक 
प्रकृति के रहस्य को 
जानने की कोशिश में 
कितना जीता है 
पृथ्वी पर इसका कोई हिसाब नहीं 
झरने दो पत्तो को 
वसंत में सहस्र-सहस्र 
पत्ते हरे-हरे हो जायेंगे 
मुरझाने दो फूल को 
सुबह मैदानो में 
नए-नए फूल उग जायेंगे। 
जो बचे हैं 
वे ही ज्यादा हैं 
जीवन हमेशा ज्यादा ही रहता है 
बेचारी मृत्यु की तमाम 
कोशिशों के बावजूद। 

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