कभी भी कम नहीं होता जीवन
वह प्रतिक्षण बढता हुआ है
एक एक बच्चा
हजारों बड़ो के जीवन से
ज्यादा समुत्सुक
प्रकृति के रहस्य को
जानने की कोशिश में
कितना जीता है
पृथ्वी पर इसका कोई हिसाब नहीं
झरने दो पत्तो को
वसंत में सहस्र-सहस्र
पत्ते हरे-हरे हो जायेंगे
मुरझाने दो फूल को
सुबह मैदानो में
नए-नए फूल उग जायेंगे।
जो बचे हैं
वे ही ज्यादा हैं
जीवन हमेशा ज्यादा ही रहता है
बेचारी मृत्यु की तमाम
कोशिशों के बावजूद।
वह प्रतिक्षण बढता हुआ है
एक एक बच्चा
हजारों बड़ो के जीवन से
ज्यादा समुत्सुक
प्रकृति के रहस्य को
जानने की कोशिश में
कितना जीता है
पृथ्वी पर इसका कोई हिसाब नहीं
झरने दो पत्तो को
वसंत में सहस्र-सहस्र
पत्ते हरे-हरे हो जायेंगे
मुरझाने दो फूल को
सुबह मैदानो में
नए-नए फूल उग जायेंगे।
जो बचे हैं
वे ही ज्यादा हैं
जीवन हमेशा ज्यादा ही रहता है
बेचारी मृत्यु की तमाम
कोशिशों के बावजूद।
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