सत्य है शरीर
न कपड़ा न लत्ता
न बम्बई न कलकत्ता
न न्यूयार्क
न वाशिंगटन
न हवा सा मन
न मोटर सा पर्यटन।
सत्य है हाथ पाँव
आँख, कान, नाक
चेहरा और दिल
न विमान न टीवी
न कम्प्यूटर
न फूल, न गंध
सत्य है जड़
बाद में बनता है तना
यह समझ में तुम्हे आये
तो समझो आदमी बना।
न कपड़ा न लत्ता
न बम्बई न कलकत्ता
न न्यूयार्क
न वाशिंगटन
न हवा सा मन
न मोटर सा पर्यटन।
सत्य है हाथ पाँव
आँख, कान, नाक
चेहरा और दिल
न विमान न टीवी
न कम्प्यूटर
न फूल, न गंध
सत्य है जड़
बाद में बनता है तना
यह समझ में तुम्हे आये
तो समझो आदमी बना।
No comments:
Post a Comment