अनंत जी की कविताएँ
Monday 17 February 2014
घृणा
प्यार की दुश्वारी अब बहुत
झेल ली
आओ अब घृणा करें ,
घृणा करे ऐसे सब लोगों से
जो केवल अपने को
करते हैं प्यार।
घृणा एक शाश्वत
हथियार है
लड़ने का
घृणा एक ऊँची मशाल है
राह देखने की।
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