Sunday 23 February 2014

आम आदमी के लिए गोष्ठी में

कठिन समय में 
कठिन बातों के हल में 
बड़े और वरिष्ठ लोगों की 
बात-चीत में 
कठिनतर है कुछ सामान्य आदमी के लिए पाना। 
वे लोग आम आदमी पर 
एक विचार गोष्ठी में 
सेवारत थे। 
आम आदमी अपने घर के लिए चिंतित था 
बेटे की बेरोजगारी से परेशान 
बिटिया के ब्याह की  चिंता 
और भैंस के बीमार होने की 
आसान सी दिखने वाली समस्या से 
ग्रस्त ,
कठिन लोग और कठिन समाज के 
बीच उनके लिए हल खोज जाना था ,
किसान के लिए खेती की कीमत 
मजदूर के लिए मेहनत की  कीमत 
यह उनके जिंदगी के व्याकरण से 
बाहर की चीजे निकली ,
वे उसे अंदर लाना चाहते थें 
उनके सदृश्य होने में 
कोई जरुरत नहीं थी ,
पर वे नहीं खोज सके कोई हल 
और गोष्ठी 
अचानक समाप्त हो गयी 
अगली गोष्ठी तक।  

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