वह चीखता ऐसे है
जैसे छप रहा हो
और जब हँसता है
तो उसे मशीन से
अखबार की तरह
लद-लद गिरते देखा जा सकता है ,
वह इकठ्ठा होता है
अपने वजूद में बंडल का बंडल
सबसे आँख लड़ाती बेहया
औरत की तरह
वह इतना प्रसिद्द होता है कि
दिन भर में ही
पूरा-पूरा
फ़ैल जाता है
आबादी पर ,
अगले दिन वह फिर
हंसेगा, चीखेगा, गायेगा
फर्ज करेगा
और दोहरायेगा, घोसणा करेगा
आदमी अखबारी है
अखबार में छपा रहना चाहिए
उसका प्यार।
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