भेंट होने पर
फूल खिल जाते हैं
गंध मिल जाती है,
तन प्रफुल्लित।
न भेंट हो
तो सब कुछ उदास-उदास
खोया-खोया लगता है,
तुम्हारे देह में क्या
स्त्री के अतिरिक्त कुछ है,
जो मेरे प्राणों को
हरा रखता है
परमात्मा सा।
फूल खिल जाते हैं
गंध मिल जाती है,
तन प्रफुल्लित।
न भेंट हो
तो सब कुछ उदास-उदास
खोया-खोया लगता है,
तुम्हारे देह में क्या
स्त्री के अतिरिक्त कुछ है,
जो मेरे प्राणों को
हरा रखता है
परमात्मा सा।
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