गये दिनों की
स्मृतियाँ हैं
अनेक सुन्दर साहचर्यों की
सुगन्धित वासनाएँ !
गये दिन
रह गये दिनों को कोसते हैं
और देह से मन से
आदिम वृक्ष के पत्ते
कुछ और झर जाते हैं।
स्मृतियाँ हैं
अनेक सुन्दर साहचर्यों की
सुगन्धित वासनाएँ !
गये दिन
रह गये दिनों को कोसते हैं
और देह से मन से
आदिम वृक्ष के पत्ते
कुछ और झर जाते हैं।
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