Thursday 1 June 2017

दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ

उजले दीप जले 
किसके सुन्दर अधर कोर पर
ये मुस्कान खिले
नयनों में आई दिवाली
स्नेह भरी भाई दिवाली
दीपक थाल संभाले आँचल
पायल झूम चले
उजले दीप जले
झूम उठी आँगन की तुलसी
अंधकार की पाँखें झुलसीं
प्यारे-प्यारे गीत पिया के
रह-रह मचल चलें
उजले दीप जले
द्वार देख साजन परदेसी
आँसू उमड़ पड़े
उजले दीप जले
अनंत मिश्र
गोरखपुर
(यह अधूरी कविता सन 1967-68 में कादंबनी में छपी थी पूरी याद भी नहीं है पर आप को समर्पित करता हूँ )

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