Sunday 2 February 2014

यह दुपहरी

यह दुपहरी 
तुम हमारे पास आ जाओ 
तो हो जाये सुनहरी 
अन्यथा चुप है ,
तुम्हे शायद चाहती है 
पास में 
यह दुपहरी 
दिख रही है 
बाहर सड़क तक 
भागते हैं लोग जैसे 
छोड़ कर चले जाने के लिए 
जिंदगी का नरक ,
यह दुपहरी है 
मुझे आवाज देकर 
पास आई है 
और अपने साथ 
गौरैया मिहनती 
पकड़ लायी है ,
व्यस्त गौरैया
फुदकती है चटकती है 
तुम इसी बेला चले आते तो 
लग जाती कचहरी। 

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