यह भी एक बसंत है
कि द्वार-द्वार पर
लटक रहे हैं ताले
शहर कहीं और घूमने चला गया है
लौटकर पूछता हूँ
शहर, घर और मित्रों का पता
कोई ठिकाना बताता नहीं
एक कुत्ता राह में पड़ा है ,
एक औरत कूड़ा फेंक कर जा रही है
लोग है भी और नहीं भी
यह कैसा बसंत है
कि बतास गायब है
पर है यह बसंत ही
कि उसके लक्षण खोज रहा हूँ मैं।
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