Sunday 2 February 2014

शशि प्रभा

तुम देर से आयी दुनिया में 
देर से मिली 
देर से खिली 
नहीं तो मैं तुम्हे प्यार करता 
तुम्हारी खनकदार हंसी को 
तुमसे रोज थोड़ा-थोड़ा मांग लेता 
बंद करता जाता 
दिल की तिजोरी में 
कि वे प्यार के खजाने बनते जाते
जिंदगी के तालाब में 
मछली की तरह 
तुम होती 
जल होता 
लहर होती 
कलकल होता। 
तुमने देर कर दी शशि प्रभा 
देर कर दी। 

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