तुम देर से आयी दुनिया में
देर से मिली
देर से खिली
नहीं तो मैं तुम्हे प्यार करता
तुम्हारी खनकदार हंसी को
तुमसे रोज थोड़ा-थोड़ा मांग लेता
बंद करता जाता
दिल की तिजोरी में
कि वे प्यार के खजाने बनते जाते
जिंदगी के तालाब में
मछली की तरह
तुम होती
जल होता
लहर होती
कलकल होता।
तुमने देर कर दी शशि प्रभा
देर कर दी।
देर से मिली
देर से खिली
नहीं तो मैं तुम्हे प्यार करता
तुम्हारी खनकदार हंसी को
तुमसे रोज थोड़ा-थोड़ा मांग लेता
बंद करता जाता
दिल की तिजोरी में
कि वे प्यार के खजाने बनते जाते
जिंदगी के तालाब में
मछली की तरह
तुम होती
जल होता
लहर होती
कलकल होता।
तुमने देर कर दी शशि प्रभा
देर कर दी।
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