Sunday 2 February 2014

चिंता मुझे उनकी है

अपनी ही बनायी दुनिया 
घेरती है चारो ओर से 
लगाती है कांटे नागफनी 
ऊँची चहारदीवारी 
जड़ती  है सीसे 
गेट बनाकर 
हथियार बंद संतरी बैठा देती है। 
भागोगे तो कैसे तुम 
अपाहिज पहले कर रखा है उसने 
टुकुर-टुकुर देखो 
घेरे में बैठकर आकाश 
घेरे के अंदर 
लगे पेड़ पौधे 
फूल पत्ते
रंग बदरंग होते इट पत्थर। 
मेरा तो जीवन पहले से ही आकाश था 
भविष्य में भी आकाश रहेगा 
चिंता उनकी है 
जो उगा रहे हैं नागफनी 
घेरे लगा रहे हैं यथाशक्ति 
सबको 
अपना समय इसी बंधन को 
किये जा रहे हैं समर्पित।   

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