वह स्त्री
अपने पति के लिए
प्यार नहीं देह सजाती है
अच्छा है उसका प्यार
पति परमेश्वर की इच्छानुसार
वह सजती है सवरती है।
वह स्त्री
प्यार की प्रतीक्षा करती-करती
बूढ़ी -बूढ़ी होती जाती है
उसका पति
उसकी इच्छा की
परीक्षा लेना चाहता है
शायद ?
अपने पति के लिए
प्यार नहीं देह सजाती है
अच्छा है उसका प्यार
पति परमेश्वर की इच्छानुसार
वह सजती है सवरती है।
वह स्त्री
प्यार की प्रतीक्षा करती-करती
बूढ़ी -बूढ़ी होती जाती है
उसका पति
उसकी इच्छा की
परीक्षा लेना चाहता है
शायद ?
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