Sunday 2 February 2014

रह गए अन्तः करण में

मैंने मोगरे का फूल नहीं देखा 
उसे मैंने ओठों की तरह 
प्रेम की किताबों में देखा है 
मैंने गुलाब के फूल देखे हैं 
तुम्हारे ओठों की तरह 
मुस्कुराते हुए फिर 
आखों से झरते हुए 
पढ़े हुए 
देखे हुए 
दोनों ही फूल थे 
देखे गए 
पढ़े गए 
झर गए 
रह गए तो केवल तुम्हारे ऒठ 
अन्तः करण में 
प्रतीक्षित चुम्बन की तरह। 

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