बच्चे यदि बच गए हैं
तो धन्यभाग
बूढ़ों का त्रिकाल अंत
होते रहना चाहिए।
नित्य प्रातः हिले, डुले पत्ते
बोले पखेरू
उगे सूरज
होता रहे अंकुरण
बचते रहे बच्चे
तो शताब्दियों तक जीवन सुरक्षित मानना।
और यदि बूढ़े ही बूढ़े
टहलते रहे सड़कों पर
हिलाते हुए लकड़ी सिद्धांतों की
तो जानना मेरे उत्तरवर्तियों
अब सूर्य नहीं उगेगा
और शताब्दियों का अंत होने वाला है।
तो धन्यभाग
बूढ़ों का त्रिकाल अंत
होते रहना चाहिए।
नित्य प्रातः हिले, डुले पत्ते
बोले पखेरू
उगे सूरज
होता रहे अंकुरण
बचते रहे बच्चे
तो शताब्दियों तक जीवन सुरक्षित मानना।
और यदि बूढ़े ही बूढ़े
टहलते रहे सड़कों पर
हिलाते हुए लकड़ी सिद्धांतों की
तो जानना मेरे उत्तरवर्तियों
अब सूर्य नहीं उगेगा
और शताब्दियों का अंत होने वाला है।
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