दिए बिना रहा नही जाता
सम्पूर्ण दिए बिना !
क्यों कि कुछ ही शेष रह जाय
तो देना रस नही बनता
कोई समूर्ण नही घटता !
जैसे बीज बिना मिटे नही बनता वृक्ष
और वृक्ष बिना माहलाहित हुए
नही बनता प्रसून !
वे स्वीकारे न स्वीकारे !
जो जानते हैं रहस्य जीवन का
वे मिटेंगे सम्पूर्ण
वृक्ष बनेंगे
रंग विरंगे फूलों से सिलेंगे
सृष्टि के नयनों की आगवानी
हमेशा-हमेशा करेगें।
सम्पूर्ण दिए बिना !
क्यों कि कुछ ही शेष रह जाय
तो देना रस नही बनता
कोई समूर्ण नही घटता !
जैसे बीज बिना मिटे नही बनता वृक्ष
और वृक्ष बिना माहलाहित हुए
नही बनता प्रसून !
वे स्वीकारे न स्वीकारे !
जो जानते हैं रहस्य जीवन का
वे मिटेंगे सम्पूर्ण
वृक्ष बनेंगे
रंग विरंगे फूलों से सिलेंगे
सृष्टि के नयनों की आगवानी
हमेशा-हमेशा करेगें।
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